4 वर्ष की छोटी कन्या के मुख से श्री राम स्तुति का पाठ
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद :
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
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